चमोली

गरीब छात्र नहीं पढ़ पाएंगे अंग्रेजी माध्यम से। सरकार ने फरमान किया जारी।

राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालयों को बंद किए जाने का है मामला

जोशीमठ:  आर्थिक कमजोरी और संसाधनों के अभाव में राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे कक्षा 5 के विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम के सभी सुविधाओं से युक्त आवासीय विद्यालयों में कक्षा 6 से शिक्षा दिलवाकर धनाढ्य घरों के बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा हेतु तैयार किए जाने का सपना आज से 7 वर्ष पूर्व सन 2015 में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार द्वारा प्रदेश के 4 अति दुर्गम ब्लॉकों जोशीमठ, जयहरीखाल, बेरीनाग और बेतालघाट के गरीब अभिभावकों और बच्चों को दिखाया गया। लेकिन गरीब अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के सपनों को पंख लगने से पहले ही उनके पर कुतर दिए जाने की तैयारी शिक्षा विभाग द्वारा कर दी गई है। सन 2015 में प्रदेश के चार दुर्गम ब्लॉकों के गरीब छात्र छात्राओं हेतु खुले अंग्रेजी माध्यम के राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालयों को बंद करने का फरमान सरकार की ओर से जारी कर दिया गया है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक उत्तराखंड की ओर से चारों जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को शासनादेश संख्या 34648/XXIV-B-1/2021-02 (97)/2015 का हवाला देकर कुमाऊं मंडल के बेरीनाग और बेतालघाट विद्यालयों को अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में एवं गढ़वाल मंडल के जयहरीखाल और जोशीमठ स्थित राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालयों को ब्लाक मुख्यालयों के सामान्य राजकीय इंटर कॉलेजों में तत्काल मर्ज किये जाने का आदेश दिया गया है।
इसके अतिरिक्त पिछले 7 वर्षों से इन चारों विद्यालयों में अस्थाई व्यवस्था के तहत कार्य कर रहे अध्यापकों एवं कार्यालय कर्मचारियों के अवशेष मानदेय का भुगतान कर उनकी सेवा समाप्त किए जाने का जिक्र भी पत्र में किया गया है।

गौरतलब है कि सन 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के चार अति पिछड़े ब्लॉकों में गरीब एवं निर्धन परिवारों के बच्चों को कक्षा 6 से कक्षा 12 तक अंग्रेजी माध्यम से निशुल्क आवासीय शिक्षा दिए जाने की उद्देश्य से चार राजीव गांधी अभिनव आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई थी। जिन्हें धीरे धीरे प्रदेश के सभी ब्लॉकों में गरीब एवं निर्धन परिवारों के बच्चों हेतु आवासीय विद्यालय खोले जाने की योजना तत्कालीन सरकार की थी।

शुरुआती दौर में सरकार द्वारा तत्कालिक व्यवस्था के तहत करोड़ों रुपए खर्च करके राजकीय इंटर कॉलेजों के पुराने छात्रावासों की मरम्मत कर छात्र छात्राओं हेतु हॉस्टल तैयार करवाये गये। यही नहीं शुरुआत में इन विद्यालयों में कक्षा 6 जो कि इन विद्यालयों में उस समय की पहली कक्षा थी के छात्र छात्राओं हेतु चारपाई, रजाई गद्दे, बर्तन इत्यादि भी क्रय किए गए।

लेकिन 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही सरकार द्वारा इन विद्यालयों को इन्हीं के हाल पर छोड़ दिया गया एवं विद्यालयों में भौतिक संसाधनों से लेकर अन्य आवश्यक सुविधाएं जुटाने हेतु कोई रुचि नहीं दिखाई गई। हालांकी प्रदेश के चार राजीव गांधी अभिनव विद्यालयों को अटल उत्कृष्ट विद्यालय में मर्ज किए जाने की कार्यवाही पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में शुरू हो चुकी थी लेकिन उस समय चुनाव के दृष्टिगत सरकार द्वारा फैसले को अमलीजामा नहीं पहनाया गया। वर्तमान भाजपा सरकार की पुनः वापसी के साथ ही इन विद्यालयों को सामान्य राजकीय इंटर कॉलेजों में मर्ज किए जाने एवं वहां कार्यरत अस्थाई अध्यापकों एवं कर्मचारियों की सेवा समाप्त किए जाने के आदेश कर दिए गए हैं।


वहीं दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जारी किये गये इस आदेश को लेकर अभिभावकों, छात्र-छात्राओं एवं विद्यालयों में कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। जोशीमठ विद्यालय स्थित कक्षा 10 की छात्रा ज्योति का कहना है कि अगर बच्चों के भविष्य को लेकर ही सरकार चिंतित नहीं है तो ऐसे में राज्य के विकास की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? उनका कहना है कक्षा 10 तक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने के बाद अचानक से हमें हिंदी मीडियम में पढ़ाने का आदेश कर सरकार न जाने हमारी कौन सी परीक्षा लेना चाहती है। वहीं दूसरी ओर छात्रा प्रियांशी का कहना है हिंदी मीडियम में जाने से हमें विज्ञान और गणित पढ़ने में विशेष रूप से अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

जोशीमठ विद्यालय प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री बख्तावर सिंह रावत का कहना है इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग एवं सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया गया लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगों पर कार्रवाई किए जाने की बजाय राजनैतिक द्वेष की भावना से विद्यालय को ही बंद किए जाने का फरमान जारी कर दिया गया है। छात्र छात्राओं के भविष्य के दृष्टिगत यह एक अच्छी परंपरा नहीं कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है प्रदेश के समस्त विद्यालयों के अभिभावक अपने बच्चों सहित आंदोलन करने को बाध्य होंगे। विद्यालय में कार्यरत अस्थाई अध्यापक भी सरकार के इस फैसले से काफी आहत हैं। अध्यापकों का कहना है कि 7 वर्षों तक निरंतर अथक परिश्रम और मेहनत करने का परिणाम हमें रोजगार विहीन करके किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की की विद्यालयों को मर्ज किये जाने की स्थिति में हमारा समायोजन भी उन्हीं विद्यालयों में किया जाए जहां पर राजीव गांधी अभिनव विद्यालयों को मर्ज किया जा रहा है।अध्यापक और कर्मचारियों द्वारा रोष प्रकट करते हुए कहा गया कि यदि अपने जीवन के 7 अहम वर्षों को इन विद्यालयों में देने के उपरांत सरकार हमें सड़क पर लाने का काम करती है तो इस निर्णय के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाया जाएगा। स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा भी सरकार के इस फैसले को पूर्वाग्रह से ग्रसित फैसला करार देते हुए इसे यथाशीघ्र वापस लेने की मांग की गई है।

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