चमोली

गोपेश्वर में निर्दलीय ने बनाया मुकाबला रोचक

निर्दलीय अंकोला दे रहे राष्ट्रीय दलों को कड़ी टक्कर

गोपेश्वर: नगर निकाय चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ-साथ जनपद चमोली के हृदय स्थल और राजधानी गोपेश्वर में सुबह शाम हो रही कड़ाके की ठंड के बावजूद सियासी पारा सातवें आसमान पर है। पालिका अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने के लिए भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी “अंकोला” का डोर टू डोर कैंपेनिंग युद्ध स्तर पर जारी है। इतिहास में पहली मर्तबा भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला न होकर निर्दलीय प्रत्याशी अंकोला के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो चला है। निर्दलीय प्रत्याशी अंकोला ने युवाओं के बीच अच्छी पकड़ एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े होने के कारण पालिका अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव को रोचक बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो आमतौर पर हर बार के चुनाव में गुणा भाग राष्ट्रीय पार्टियों के बीच ही हुआ करता था किंतु इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग लग रही है। 

भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष संदीप रावत (बबलू) को अपना प्रत्याशी बनाया गया है वहीं कांग्रेस की ओर से युवा नेता प्रमोद बिष्ट पर भरोसा जताया गया है। जबकि निर्दलीय के तौर पर पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष अनूप पुरोहित “अंकोला” चुनाव मैदान में है।

कौन कितना भारी

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी संदीप रावत की छवि एक मृदुभाषी, मिलनसार और ईमानदार नेता के रूप में रही है। नगर पालिका अध्यक्ष रहते हुए आम जनता तक उनकी पहुंच एवं उस दौरान किए गए अनेक ऐतिहासिक कार्यों, भारतीय जनता पार्टी का तगड़ा संगठनात्मक मैनेजमेंट, राष्ट्रीय स्तर की पार्टी एवं बड़े संगठन की कैडर वोट का फायदा उन्हें मिल सकता है। हालांकि बड़ा संगठन होने के कारण एवं टिकट न मिलने के कारण असंतुष्ट दिख रहे पार्टी के कुछ नेताओं के भितरघात की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।

बात अगर कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद बिष्ट की की जाए उनकी छवि भी अपने आप में मिलनसार, तेज तर्रार युवा नेता, युवाओं और ग्रामीणों के बीच अच्छी पकड़ उन्हें इस पद हेतु एक सशक्त दावेदार बनाती हैं। छोटे स्तर का चुनाव होने के कारण मूल गोपेश्वर गांव के निवासी होने जैसी बातें भी उनके पक्ष में जा सकती हैं। जबकि वर्तमान में कांग्रेस की कमजोर सांगठनिक स्थिति उनके लिए जरूर चुनौती होगी।

वहीं निर्दलीय के तौर पर पहली बार नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे अनूप पुरोहित “अंकोला” की युवाओं के बीच जबरदस्त पकड़, युवाओं की एक बड़ी टीम, पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष रहते हुए व्यापारियों के हित हेतु उनके द्वारा किए गए कार्यों, सामाजिक एवं प्राकृतिक आपदाओं के समय गोपेश्वर नगर के साथ-साथ क्षेत्र में उनकी सक्रियता के चलते जनता के लिए अध्यक्ष के रूप में वे भी एक सशक्त विकल्प हो सकते हैं। हालांकि निर्दलीय के तौर पर सीमित चुनावी संसाधन होने एवं राष्ट्रीय पार्टियों की तरह परंपरागत वोट साथ न होने का नुकसान उन्हें हो सकता है।

 कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के धमाकेदार आगाज से गोपेश्वर नगर पालिका अध्यक्ष पद की कुर्सी पाना दोनों राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों के लिए इतना आसान नहीं होगा। समीकरणों को देखते हुए इस बार नगर पालिका अध्यक्ष पद हेतु त्रिकोणीय मुकाबला होना निश्चित है।

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