उत्तराखंड के ग्रामीण डाक सेवाओं में एक ही राज्य के लोगों की भर्ती पर उठे सवाल
एक ही राज्य के लोगों की भर्ती पर उठे सवाल*
देहरादून: उत्तराखंड के ग्रामीण डाक सेवाओं (GDS) में हरियाणा के नौजवानों की नियुक्ति को लेकर एक स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है। इन नियुक्तियों को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं, खासकर स्थानीय भाषा, बोली और सांस्कृतिक समझ की कमी को लेकर । उत्तराखंड ग्रामीण डाक सेवाओं (GDS) में हरियाणा के नौजवानों की नियुक्ति को लेकर स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है। इन नियुक्तियों को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं, खासकर स्थानीय भाषा, बोली और सांस्कृतिक समझ की कमी को लेकर।
ग्रामीण डाक सेवाओं का मुख्य उद्देश्य राज्य के दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में डाक सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करना होता है। इन सेवाओं के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ, बैंकिंग सेवाएं और अन्य डाक सुविधाएं ग्रामीण जनता तक पहुंचाई जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि हरियाणा के युवा, जो स्थानीय भाषा और संस्कृति से अपरिचित हैं, इन सेवाओं को सही ढंग से संचालित नहीं कर पाएंगे।
उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में मुख्यतः हिंदी और गढ़वाली-कुमाऊँनी बोली जाती है। हरियाणा से आने वाले युवाओं के लिए इन भाषाओं को समझना और बोलना मुश्किल हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या ग्रामीण डाक सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। संचार की कमी से ग्रामीणों को अपनी डाक संबंधित समस्याओं के समाधान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
सामाजिक संगठनों और ग्रामीणों ने मांग की है कि उत्तराखंड की ग्रामीण डाक सेवाओं में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उनका तर्क है कि स्थानीय लोग अपनी भाषा, संस्कृति और क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी से अच्छी तरह परिचित होते हैं, जिससे वे इस सेवा को बेहतर ढंग से संचालित कर सकते हैं।
इस मुद्दे पर अभी तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय नेताओं ने इस पर सरकार से पुनर्विचार करने की मांग की है।