चमोली

बद्रीनाथ सीट पर फिर लहराया कांग्रेस का झंडा। लखपत सिंह बुटोला ने दर्ज की जीत

बद्रीनाथ विधानसभा में हुए उप चुनाव में लखपत बुटोला ने पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी को हराकर दर्ज की जीत।

गोपेश्वर: बद्रीनाथ विधानसभा में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला ने 5224 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने सीधे मुकाबले में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और इस सीट से पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र सिंह भंडारी को भारी मतों से हराकर जीत दर्ज की।

बद्रीनाथ विधानसभा सीट कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई थी। जहां कांग्रेस को इस सीट से अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव था वहीं कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए राजेंद्र सिंह भंडारी और भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी। यही कारण रहा की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत तमाम कैबिनेट मंत्री और प्रदेश स्तरीय नेता पूरे चुनाव अभियान के दौरान बद्रीनाथ विधानसभा सीट में डेरा जमाए हुए थे। लेकिन भंडारी का अकारण अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होना और फिर दोबारा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना बद्रीनाथ की जनता को रास नहीं आया। और उन्होंने अपनी वोट की ताकत के बल पर उन्हें पटकनी दे दी।

वही दूसरी ओर भंडारी के कांग्रेस में रहते हुए टिकट से हमेशा वंचित रहने वाले बुटोला कांग्रेस से टिकट पाने में कामयाब रहे और इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री और बद्रीनाथ सीट से कद्दावर नेता राजेंद्र भंडारी को हराकर कांग्रेस पार्टी में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान बद्रीनाथ सीट से विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी अपने समर्थकों सहित भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। उनके भाजपा में शामिल होने से यह सीट खाली हो गई थी जिस पर दस जुलाई को मंगलोर विधानसभा में हुए उपचुनाव के साथ वोट डाले गए थे।

वही दूसरी और उत्तराखंड की एक और विधानसभा मंगलौर में हुये उपचुनाव में भी कांग्रेस पार्टी के काजी निजामुद्दीन ने भाजपा के करतार सिंह भड़ाना को कांटे के मुकाबले में पांच सौ से भी काम वोटो के अंतर से हरा दिया है। इस सीट पर भाजपा की हार का कारण बाहरी प्रत्याशी का होना बताया जा रहा है। हालांकि दोनों सीटों से हार के बाद भी भाजपा की सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जिस तरह से कांग्रेस पूरे देश समेत उत्तराखंड में अपने खोये जनाधार को धीरे-धीरे वापस पा रही है उससे बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें होना स्वाभाविक है।

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