क्राइम

पुलिस की में गयी बिल्डर साहनी की जान

देहरादून। बिल्डर्स सतेन्द्र साहनी उर्फ बाबा साहनी की मौत ने लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि यह कैसे हो गया। जबकि सातकृआठ दिन पहले साहनी ने एसएसपी से मिलकर प्रार्थना पत्र दिया था कि उसकी जान को खतरा है और सहारनपुर के गुप्ता बंधुओं ने उसको परेशान कर रखा है। लेकिन पुलिस ने मामले को गम्भीरता से न लेते हुए उसको जांच में डाल दिया और पुलिस की जांच-जांच में साहनी की जान चली गयी। पुलिस ने जो काम बीते रोज किया ऐसा ही कुछ दिन पहले किया होता तो शायद साहनी की जान बच सकती थी।
राज्य निर्माण के बाद पुलिस विभाग ने एक स्लोगन दिया मित्रता-सेवा-सुरक्षा’। तब से अभी तक प्रदेश की जनता सोचने को मजबूर है कि किससेे मित्रता, किसकी सेवा और किसकी सुरक्षा हो रही है। प्रदेश नशे का अड्डा बनता जा रहा है। अब यहां लोग उडता पंजाब नहीं बल्कि उडता उत्तराखण्ड’ बोलने लगे हैं। गली गली में नशे का जहर बिक रहा है और पता नहीं कितने परिवारों के चिराग इस नशे के कारण बुझ गये है। लेकिन पुलिस नशा तस्करों का जाल तोडने में नाकाम साबित हुई है। मात्र कार्यशालाएं चलाकर नशे से मुक्ति नहीं मिलती है। इसके लिए जमीनी कार्यवाही करनी पडती है। वहीं दूसरी तरफ शहर में तेज वाहन व खनन के डम्पर आये दिन लोगों की जान से खिलवाड कर रहे हैं इसके लिए किसको जिम्मेदार समझा जाये। यहां भी पुलिस की लापरवाही ही सामने आती है। एक तरफ अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए अधिकारी बयानवीर बने हुए है वहीं दूसरी तरफ अवैध खनन के डम्पर खुलेआम चलते है और लोगों की जान ले लेते हैं। इन्हीं कारणोें से लोग सोचने को मजबूर हो रहे हैं आखिर किसकी सुरक्षा, सेवा व किससे मित्रता हो रही है।
यही हालत बाबा साहनी के मामले में भी सामने आयी है। बाबा साहनी ने एसएसपी को जब आठ दिन पहले प्रार्थना पत्र देकर इस बात की शंका जाहिर कर दी थी कि उसकी जान को खतरा है तो समाज के एक सम्मानित व्यक्ति को जान को खतरा है इसको गम्भीरता से क्यों नहीं लिया गया। अगर उसी दिन पुलिस अधिकारी गुप्ता बंधुओं को बुलाकर उनको सही तरीके से समझा देती और मामले को जांच मे न डालती तो आज साहनी की जान भी नहीं जाती। जो काम पुलिस ने बीते रोज तत्परता दिखाते हुए गुप्ता बंधुओं को गिरफ्तार करने में दिखायी अगर वहीं काम आठ दिन पहले उनको बुलाकर सही तरीके से समझा देते तो आज यह घटना शायद नहीं होती।

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