यहाँ नहीं खेली जाती होली।खेलने पर होता ये नुकशान
सदियों से चली आ रही परंपरा का आज भी लोग कर रहे निर्वहन

रुद्रप्रयाग : जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि ब्लाक के ग्राम क्वीली, कुरझण और जोंदला के ग्रामीण सदियों से होली के हुड़दंग से दूर हैं। इन गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक कोई भी होली का त्योहार नहीं मनाता है। इन गांवों में प्रचलित मान्यता के अनुसार क्षेत्र की इष्ट देवी को होली के रंग और होली का हुड़दंग बिल्कुल पसंद नहीं है। जिस वजह से ग्रामीण भी इस त्यौहार में शरीक नहीं होते हैं। कहा जाता है कि सदियों पहले जम्मू कश्मीर से कुछ पुरोहित परिवार अपने यजमानों के साथ इस क्षेत्र में आकर बसे। उनके साथ उनकी ईस्ट कुलदेवी भी आई। यहां की कुलदेवी त्रिपुरा सुंदरी को होली का हुड़दंग पसंद नहीं था जिस कारण इस क्षेत्र में होली नहीं मनाई जाती है।
ग्राम क्वीली के 94 वर्षीय वयोवृद्ध पूर्व प्रधानाध्यापक श्री पूर्णानंद पुरोहित बताते हैं की हमने कभी भी गांव में किसी को होली खेलते नहीं देखा है। एक दो बार जब कभी भी होली खेलने का प्रयास ग्रामीणों ने किया तो इन गांवों में हैजा जैसी बीमारी फैल गई थी। सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा का आज भी इन तीनों गांवों के बुजुर्गों से लेकर युवा पीढ़ी तक पालन कर रहे हैैैं। अब इससे ग्रामीणों का अंधविश्वास कहें या फिर अपने इष्ट देवी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास लेकिन जहां पूरे देशभर में होली के दिन होलीयार एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं वहीं इन गांवों के लोग आज भी इस हुड़दंग से दूर रहकर अपनी नियमित दिनचर्या के अनुसार कार्यों में लगे रहते हैं।